Secondary Memory in Hindi – सेकेंडरी मेमोरी क्या है |

मेमोरी अर्थात याददाश्त जो मानव के लिए महत्वपूर्ण है इस प्रकार कंप्यूटर सिस्टम में भी मेमोरी का उतना ही महत्व है, आज के वर्तमान युग में जितना महत्व कंप्यूटर का है उतना ही कंप्यूटर से जुड़े हुए जानकारी का है इस कड़ी में आज हम Secondary Memory in Hindi – सेकेंडरी मेमोरी क्या है अर्थात Computer Auxiliary Memory के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे.

Secondary Memory in Hindi

Secondary Memory जिसे हम Auxiliary Memory के नाम से भी जानते है, Digital Computer में Memory एक important parts है, जिसके माध्यम से different तरह के डाटा या Information को Computer की Memory में Store कर उसे process करता है जिसमे हमें परिणाम प्राप्त होता है, इसके उदाहरण है Hard Disk Drive, RAM, ROM, Pen Drive, CD, DVD etc.

Secondary Memory in Hindi
Secondary Memory in Hindi

सेकेंडरी मेमोरी क्या है : Digital Computer में Memory एक important parts है. जो facility provide कराता है की different तरह के डाटा या Information को Computer की Memory में Store कर उसे process किया जा सकता है.

सेकेंडरी मेमोरी क्या है

किसी प्रोग्राम के execution में सबसे पहले data को memory में Store कर रखा जाता है. इसके बाद CPU द्वारा इस data को execute किया जाता है. CPU के द्वारा जिस memory को direct access किया जाता है उसे main memory कहा जाता है.

जबकि जिस memory को address के द्वारा access किया जाता है वह secondary memory कहलाती है. इस तरह digital computer में memory का use करते हुए instructions को execute किया जाता है.

Secondary Memory in Hindi : कंप्यूटर की सहायक मेमोरी

Magnetic Drum की शादी है

Secondary Memory in Hindi : Magnetic Drum पर track को Drum के चारों ओर स्थित channel पर assign किये जाते हैं जो इस Drum के चारों ओर गोलाकार bonds का निर्माण करते हैं। एक single Drum में 200 track हो सकते हैं। Drum 3000 RPM की गति से घूमता है। Magnetic drums, tape अथवा disk drives की तुलना में ज्यादा शीघ्रता से data fetch करता है परंतु दोनों की तुलना में कम data fetch करते हैं।

Magnetic Disk

Magnetic Disk प्लास्टिक की एक पतली डिस्क होती है, जिसके दोनों ओर मैग्नेटिक मटेरियल, जैसे-आयरन ऑक्साइड की परत चढ़ी रहती है। मैग्नेटिक डिस्क के किसी भी स्थिति पर डाटा रोड/राइट किया जा सकता है अर्थात् यह रैण्डम एक्सेस डिवाइस (Random access device) है।

मैग्नेटिक डिस्क का संगठन (Organization of magnetic disk) किसी भी मैग्नेटिक डिस्क (Magnetic disk) की सतह बहुत सारे सकेन्द्रीय वृत्ता (Concentric circles) में बैठी हुई होती है, जिन्हें हम ट्रेक्स (Tracks) कहते हैं।

ऊपर की सतह के बाहरी ट्रैक का नंबर ट्रैक 0 साइड 0 तथा दूसरी सतह के सबसे बाहरी ट्रैक का नंबर ट्रैक 0 साइड होता है। बाहर से अंदर (केंद्र की ओर जाने पर ट्रैक नंबर क्रमशः बढ़ते। जाते हैं। ट्रैक को पाई (न) आकार के अन्य छोटे भागों में बाँटा जाता है जिसे सेक्टर (Sector) कहते हैं। सेक्टर (Sector) किसी डिस्क पर डेटा संग्रह की सबसे छोटी इकाई है। प्रत्येक सेक्टर 512, 1024, 2048 बाइट का डेटा संग्रह करता है।

सेकेंडरी मेमोरी क्या है Magnetic disk
सेकेंडरी मेमोरी क्या है : Magnetic disk

Secondary Memory in Hindi : मैग्नेटिक डिस्क (Magnetic disk) दो प्रकार का होता है

फ्लॉपी डिस्क (Floppy disk)

फ्लॉपी डिस्क (Floppy disk) – फ्लॉपी डिस्क (Floppy disk) मायलर (Mylar) की बनी हुई एक वृत्ताकार (Circular) डिस्क होती है, जिसकी सतह पर मैग्नेटिक पदार्थ की परत चढ़ी होती है। इस डिस्क के बाहर प्लास्टिक का आवरण (Jacket) होता है, जो डिस्क को सुरक्षा प्रदान करता है।

फ्लॉपी डिस्क लॉजिकली (Logically) ट्रेक्स व सेक्टर्स (Tracks and sectors) में विभाजित होती है। प्रत्येक ट्रैक की एक संख्या होती है, जो परिधि से केन्द्र (Centre) की ओर से प्रारंभ होती है। डेटा सेक्टर में संग्रहीत होता है। फ्लॉपी के बीच में एक छेद होता है, जिससे होकर फ्लॉपी डिस्क ड्राइव की स्पिन्डल, फ्लॉपी डिस्क को घूमाती है।

घूमने की गति 360 RPM (Rotation Per Minute) होती है। डिस्क में एक छिद्र (Hole) होता है, जिसे इंडेक्स होल (Index hole) कहते हैं। फ्लॉपी के एक ओर कुछ भाग कटा हुआ रहता है, जिसे राइट प्रोटेक्ट नोच (Write protect कहते हैं। इसे बंद कर देने पर डिस्क पर डेटा केवल रोड (Read) किया जा सकता है। राइट (Write) नहीं किया जा सकता।

फ्लॉपी सिक्वेन्शियल तथा रैंडम एक्सेस (Sequential and random access) का संयुक्त उदाहरण है, क्योंकि इसमें रीड राइट हेड के एक ट्रैक से दूसरे ट्रैक पर जाने की प्रक्रिया रैंडम (Random) होती हैं, लेकिन एक ही ट्रेड पर लिखने का कार्य सिक्वेन्शियल (Sequential) होता है।

आकार की दृष्टि से फ्लॉपी प्रायः दो प्रकार की होती है-

1. 5½ इंच व्यास वाली या मिनी फ्लॉपी (Mini floppy ) – इसकी संग्रह क्षमता (Storage capac- ity) 360 KB, 720 KB, 1-2 MB या 2-44 MB होती है।

2. 3/½ इंच वाली या माइक्रो फ्लॉपी (Micro floppy ) – इसकी संग्रह क्षमता (Storage capacity) 310KB, 720 KB, 1.44 MB या 2-88 MB होती है।

Floppy disk
Floppy disk

Hard Disk Drive (HDD)

हार्ड डिस्क (Hard disk) हार्ड डिस्क (Hard disk) सबसे प्रमुख सेकंडरी स्टोरेज डिवाइस (Secondary storage device) है। इसकी संग्रह क्षमता फ्लॉपी डिस्क की तुलना में बहुत अधिक होती है। हार्ड डिस्क का निर्माण एल्युमिनियम या मिश्र धातु के द्वारा होता है।

यह एक स्थायी (Fix) डिस्क होती है। हार्ड डिस्क में बहुत-सी (6 या 8) मैग्नेटिक डिस्क (Magnetic disk) एक केन्द्रीय सॉफ्ट के सहारे एक के ऊपर एक, एक-दूसरे से लगभग आधे इंच की दूरी पर लगी होती हैं, जिसे डिस्क पैक (Disk pack) कहते हैं।” (चित्र में दर्शाए अनुसार) ।

प्रत्येक डिस्क ट्रेक्स व सेक्टर्स (Tracks and sectors) में विभाजित होती है। डिस्क पैक की पहली डिस्क की ऊपरी सतह (Upper surface) तथा आखिरी डिस्क की निचली सतह (Lower surface) को डाटा स्टोर (Store) करने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाता।

प्रत्येक सरफेस का अपना अलग रीड/राइट हेड (Read/write head) होता है। इस तरह से एक ही समय पर बहुत से हेड अलग-अलग सरफेस पर कार्य करते हैं, ये सभी हेड एक घुमाने वाली भुजा (Access arm) पर एक ही स्थिति पर लगे रहते हैं, जिससे वे समान दूरी व समान दिशा में घूमते हैं।

जब घूमने वाली भुजा (Access arm) एक विशेष स्थिति में होती है, तब कम्प्यूटर प्रत्येक सरफेस का एक निश्चित ट्रेक (Specific track) एक्सेस करता है। समान नंबर के ट्रेक्स के ऐसे समूह को सिलेंडर (Cylinder) कहते हैं।

Secondary Memory in Hindi  : Hard disk
Hard disk

(iii) ऑप्टिकल डिस्क (Optical disk) – ऑप्टिकल डिस्क सबसे अधिक प्रचलित, अधिक क्षमता वाली, तीव्र, सस्ती और विश्वसनीय मेमोरी है। ये लेजर के सिद्धांत पर कार्य करती है। इसकी संग्रहण क्षमता अत्यधिक 650 से 700 मेगाबाइट होती है। इसे काम्पैक्ट डिस्क (Compact disk) या सीडी भी कहते हैं। सीडी रेजिन जैसे पॉलीकार्बोनेट पदार्थ की बनी होती है, जिस पर रिफ्लेक्टिव (Reflective) पदार्थ, जैसे

एल्युमिनियम की परत लगी होती है। सीडी पर डाटा रोड/ राइट करने के लिए दो अलग-अलग लेजर बीम का उपयोग किया जाता है। अधिक तीव्रता की लेजर बीम (25 MD) का उपयोग लिखने के लिए तथा कम तीव्रता की लेजर बीम का उपयोग (5 MD) पढ़ने के लिए किया जाता है। डाटा राइट करने के लिए अधिक तीव्रता की लेजर बीम सतह पर डाली जाती है, जिससे सतह पर छेद (जिसे Pit कहते हैं) होता है, जिसे पढ़ा जाता है।

सामान्य सतह को लैंड Land कहते हैं, जिसे ( पढ़ा जाता है। डाटा रीड करने के लिए लेजर बीम सतह पर डाली जाती है। Land ज्यादा light रिफ्लेक्ट करता है तथा Pit कम light रिफ्लेक्ट करता है। इस रिफ्लेक्शन को एक फोटोडायोड पर प्राप्त करके इलेक्ट्रिक सिग्नल में बदला जाता है। सीडी से डाटा पढ़ने के लिए सीडी रोम ड्राइव का प्रयोग किया जाता है। डाटा राइट करने के लिए सीडी राइटर की आवश्यकता होती है।

Optical disk
Secondary Memory in Hindi : Optical disk

(vii) डीवीडी (Digital versatile disk or DVD) – डीवीडी आकार में सीडी के समान ही होती है, परंतु इनकी संग्रहण क्षमता सीडी की तुलना में सात से बारह गुना अधिक होती है। एक सीडी में 70 से 80 मिनट की फिल्म स्टोर की जा सकती है, जबकि डीवीडी पर 75 से 120 मिनट की फिल्म स्टोर की जा सकती है।

डीवीडी रोम ( DVD ROM) विशेष डाटा कम्प्रेशन तकनीक (Data compression technology) का प्रयोग कर डिस्क की दोनों सतहों का उपयोग करते हैं। डीवीडी को चलाने के लिए डीवीडी ड्राइव की आवश्यकता होती है। एक मानक डीवीडी (Standard DVD) में 4-4 GB तक डाटा स्टोर कर सकते हैं।

DVD के विभिन्न प्रकारों को हम निम्नलिखित चार्ट द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं-

TypeSidesCapacity
DVD-ROMRead only 1 side4-7 GB
DVD-ROMRead only 1 side8-5 GB
DVD-ROM Read only 2 side11-4 GB
DVD-ROMRead only 2 side18 GB
DVD-RWrite-once 1 sides8-9 GB
DVD-RWrite-once I sides8-8 GB
DVD-RAMRewritable 1 side2-6 GB
DVD-RAMRewritable 2 side11-2 GB
Secondary Memory in Hindi

Magnetic Tape

मैग्नेटिक टेप (Magnetic tape)- यह एक सिक्वेन्शियल एक्सेस उपकरण है। मैग्नेटिक टेप का उपयोग बड़े पैमाने पर हार्ड डिस्क के डाटा का बैकअप (Backup) रखने के लिए किया जाता है। मैग्नेटिक टेप 1/2 इंच चौड़ा प्लास्टिक रिबन होता है, जिसके एक तरफ मैग्नेटिक मटेरियल (आयरल ऑक्साइड) लगा होता है। यह टेप रिबन सामान्यतः सेल, कैसेट या कार्टेज के रूप में होता है तथा 50 से 2400 फीट तक लम्बा होता है।

Magnetic tape
Secondary Memory in Hindi : Magnetic tape

मैग्नेटिक टेप क्षैतिज लाइनों तथा ऊर्ध्याधर कॉलमों में बँटी होती है। क्षैतिज लाइनों (Horizontal rows को चैनल या ट्रैक्स (Channel or tracks) कहते हैं। ऊर्ध्वाधर कॉलम (Vertical column) को फ्रेम्स (Frames) कहते हैं। एक स्टैण्डर्ड टेप में 9 ट्रैक्स होते हैं तथा डाटा डेन्सिटी (Data density) 6250 कैरेक्टर पर इंच होती है। आधुनिक टेप में 18 ट्रेक्सर होते हैं तथा डेटा संग्रह क्षमता (Storage capacity) 38000 कैरेक्टर प्रति इंच होती है। मैग्नेटिक टेप मैं डेटा रिकॉर्ड करने के लिए EBCDIC कोड का उपयोग किया जाता है।

मैग्नेटिक टेप के लाभ (Advantages of magnetic tape)

1. डेटा ट्रांसफर रेट, पंच कार्ड रीडर (2000 byte/sec) की तुलना में टेप में (10 byte/sec) बहुत अधिक होता है।

2. डेटा संग्रह क्षमता पंच कार्ड (Punch card) की तुलना में बहुत अधिक (38000 charac ter/inch) होती है।

3. संग्रह क्षमता बहुत अधिक होती है। एक से अधिक टेप का उपयोग करके संग्रह क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।

4. यह बहुत सस्ता होता है।

5. टेप में लिखे डेटा को मिटाकर टेप को दुबारा उपयोग (Reuse) में लाया जा सकता है।

6. यह पोर्टबल (Portable) होता है, जिससे इसे एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना सुविधाजनक होता है।

मैग्नेटिक टेप के नुकसान (Disadvantage of magnetic tape)—

1.टेप एक सिक्वेन्शियल एक्सेस (Sequential access) उपकरण है, जिसमें एक के बाद एक इस क्रम में डाटा संग्रहोत रहते हैं, अतः डेटा को एक्सेस करने में डेटा की स्थितिनुसार समय लगता है।

2. टेप में डाटा मैग्नेटिक स्पॉट (Magnetic spot) के रूप में संग्रह होता है, अत: इसे विशेष उपकरण से पढ़ सकते हैं।

3. टेप के डेटा पर पर्यावरण, जैसे- ऊष्मा, नमी आदि का बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है।

चलो

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